हरियाणा सरकार ने हाल ही में पटवारियों की भर्ती प्रक्रिया पूरी की है। 2713 नए चयनित पटवारियों को अब छह महीने की विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी। यह ट्रेनिंग पंचकूला और हिसार के दो ट्रेनिंग स्कूलों में शुरू होगी। यह जानकारी 20 नवंबर 2024 को सामने आई। ट्रेनिंग का उद्देश्य पटवारियों को उनकी जिम्मेदारियों के लिए पूरी तरह से तैयार करना है।
पटवारियों को उर्दू और छह अन्य विषयों की ट्रेनिंग
ट्रेनिंग में छह प्रमुख विषय पढ़ाए जाएंगे। इनमें गणित, बेसिक हिंदी, उर्दू, कंप्यूटर, लैंड रिकॉर्ड मैनुअल और जमीन से जुड़े विभिन्न एक्ट शामिल हैं। उर्दू का अध्ययन इसलिए आवश्यक है क्योंकि राजस्व विभाग के पुराने रिकॉर्ड ज्यादातर उर्दू में ही हैं। पटवारियों के रोजमर्रा के काम में इस्तेमाल होने वाले 150 से अधिक उर्दू शब्दों को समझने और लिखने के लिए यह ट्रेनिंग महत्वपूर्ण होगी।
राजस्व विभाग में प्रचलित उर्दू शब्द:
- बड़ी देह
- हदबस्त
- जमाबंदी
- इंतकाल
- खसरा गिरदावरी
- शजरा नसाब
- पैमाइश
दो शिफ्टों में होगी ट्रेनिंग
राजस्व विभाग के वरिष्ठ कानूनगो बलबीर ने बताया कि पहले प्रदेश में पांच ट्रेनिंग स्कूल थे, लेकिन अब यह संख्या घटकर दो हो गई है। इन दो स्कूलों में पटवारियों को दो शिफ्टों में ट्रेनिंग दी जाएगी।
- पहली शिफ्ट: स्कूल में कक्षाएं
- दूसरी शिफ्ट: फील्ड ट्रेनिंग (वरिष्ठ पटवारियों के साथ काम करके अनुभव प्राप्त करना)
यह व्यवस्था नए चयनित अभ्यर्थियों को संतुलित तरीके से प्रशिक्षण देने के लिए की गई है।
पेपर पास करने पर होगा स्टेशन अलॉट
ट्रेनिंग के दौरान पटवारियों को परीक्षा देनी होगी। परीक्षा में प्रदर्शन के आधार पर ही उन्हें विभिन्न स्टेशनों पर तैनात किया जाएगा। राजस्व विभाग के मुताबिक, यह कदम काम में दक्षता लाने के लिए उठाया गया है। ट्रेनिंग पूरी करने के बाद पटवारियों को स्टेशन अलॉट कर दिया जाएगा।
राजस्व विभाग की उर्दू पर निर्भरता
हरियाणा के राजस्व विभाग में अभी भी पुराने रिकॉर्ड उर्दू में ही सुरक्षित हैं। यह परंपरा आजादी से पहले की है। पुराने रिकॉर्ड में इस्तेमाल होने वाले उर्दू शब्दों को समझने के लिए पटवारियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। राजस्व विभाग का मानना है कि उर्दू सीखने से जमीन से जुड़े कामों में पारदर्शिता और तेजी आएगी।
प्रशिक्षण की शुरुआत अगले महीने से
पटवारियों की ट्रेनिंग अगले महीने से शुरू होने की उम्मीद है। विभाग द्वारा कार्यक्रम जारी किया जाएगा। ट्रेनिंग स्कूलों में बुनियादी विषयों पर फोकस होगा, जबकि फील्ड ट्रेनिंग से उन्हें व्यावहारिक अनुभव मिलेगा।