Chanakya Niti: सनातन धर्म में पुनर्जन्म का विशेष महत्व है. इस धर्म के अनुसार मृत्यु के बाद व्यक्ति के कर्मों के आधार पर उसे नया जीवन मिलता है. यह पुनर्जन्म (Rebirth) उसके अच्छे या बुरे कर्मों के फलस्वरूप होता है जिसे चित्रगुप्त महाराज द्वारा लेखा-जोखा में दर्ज किया जाता है.
आचार्य चाणक्य की पुनर्जन्म पर दृष्टिकोण
आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya’s perspective) भी पुनर्जन्म में विश्वास रखते थे जिसका प्रमाण उनके नीति शास्त्र में मिलता है. उन्होंने विस्तार से बताया है कि कैसे व्यक्ति के कर्म उसके जीवन को प्रभावित करते हैं और कैसे ये कर्म उसे उच्च या निम्न जीवन प्रदान करते हैं.
चाणक्य नीति सुखी जीवन के लिए कर्म
चाणक्य नीति के अनुसार तीन प्रकार के लोग जीवन भर सुखी रहते हैं जिसमें से एक कारक तप या साधना (Tap or Sadhana) होता है. चाणक्य कहते हैं कि सुखी जीवन जीने के लिए व्यक्ति को अपने पूर्व जन्मों के कर्मों का अच्छा होना जरूरी है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार जीवन में सुख के स्रोत
चाणक्य आगे बताते हैं कि अच्छा भोजन सुंदर और चरित्रवान जीवनसाथी और धनवान होने के साथ-साथ दानवीर होना (Generosity and wealth) भी पूर्व जन्मों के अच्छे कर्मों का परिणाम होता है. यह सब धरती पर स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति में सहायक होते हैं.
चाणक्य की नीति और समकालीन समाज
आचार्य चाणक्य की ये शिक्षाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी की सदियों पहले थीं. वे हमें बताते हैं कि कैसे हमारे कर्म हमारे जीवन को आकार देते हैं और हमें कैसे अहंकार से दूर रहकर सदैव नम्र और सहृदय बने रहना चाहिए.
(Disclaimer: इस आर्टिकल में दी गई जानकारियां और सूचनाएं इंटरनेट से ली गई हैं। Dharataltv.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)