Burning of Crop Residue: भारतीय किसानों के लिए नई चुनौतियाँ सामने आई हैं क्योंकि अब फसल अवशेष जलाने (crop residue burning) पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा. इसका उद्देश्य न केवल पर्यावरण की सुरक्षा करना है बल्कि भूमि की उपजाऊ शक्ति को बनाए रखना भी है. फसल अवशेष जलाने से उपजाऊ मिट्टी की सतह और उसमें मौजूद लाभदायक जीवाणु नष्ट हो जाते हैं और हानिकारक गैसें (harmful gases) भी उत्सर्जित होती हैं.
पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रभाव
डी.सी. मोहम्मद इमरान रजा ने बताया कि पराली जलाने से नाइट्रोजन, सल्फर, पोटाश और ऑर्गेनिक कार्बन (organic carbon) जैसे पोषक तत्वों की भी हानि होती है. इसके अलावा यह प्रथा न केवल स्थानीय पर्यावरण को प्रदूषित करती है बल्कि आस-पास के क्षेत्रों की हवा की गुणवत्ता को भी खराब कर देती है. जिससे मानव स्वास्थ्य विशेषकर बच्चों और बुजुर्गों पर बुरा असर पड़ता है.
प्रोत्साहन राशि की घोषणा
खेती की उपज बढ़ाने और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने फसल अवशेष न जलाने पर प्रोत्साहन राशि (incentive amount) देने की योजना शुरू की है. जिले के 13 रेड जोन वाले गांवों में यदि फसल अवशेष नहीं जलाए जाते हैं, तो संबंधित ग्राम पंचायत को 1 लाख रुपए और येलो जोन के 58 गांवों को 50 हजार रुपए दिए जाएंगे.
समुदाय की जिम्मेदारी
डी.सी. मोहम्मद इमरान रजा ने सभी जनप्रतिनिधियों से अपील की है कि वे अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए फसल अवशेष जलाने पर रोक लगाने में मदद करें. यह सिर्फ उनकी अपनी फसलों का मामला नहीं बल्कि पूरे समुदाय के स्वास्थ्य और भविष्य की बात है.
कृषि विभाग की सक्रिय भूमिका
जिला प्रशासन के साथ-साथ कृषि विभाग भी किसानों को सहायता प्रदान करने के लिए सक्रिय है. कई ग्राम स्तरीय कैंप (village level camps) और जागरूकता शिविर आयोजित किए जा रहे हैं. जहाँ किसानों को आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग करने और पराली को मिट्टी में मिलाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.