Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य को बीसवीं सदी के सबसे ज्ञानी और विद्वान पुरुषों में गिना जाता है। उन्होंने अपने जीवनकाल में अनेक नीतियाँ (Chanakya policies) रचीं जिनका पालन करने से व्यक्ति को सुखी और समृद्ध जीवन की प्राप्ति होती है। चाणक्य की नीतियाँ जीवन के हर पहलू पर प्रकाश डालती हैं और उनका मार्गदर्शन आज भी उतना ही प्रासंगिक है।
जो खुद को ज्ञानी मानते हैं
चाणक्य की नीति के अनुसार वे लोग जो स्वयं को सबसे बड़ा ज्ञानी (self-proclaimed wise) मानते हैं। वास्तव में सबसे बड़े मूर्ख होते हैं। ये व्यक्ति हर मामले में अपनी राय रखने से नहीं चूकते। भले ही उनकी राय में कोई वास्तविक ज्ञान न हो। समाज इस तरह के लोगों को अक्सर नजरअंदाज करता है और उन्हें मूर्ख मानता है।
दूसरों को नीचा दिखाने वाले
चाणक्य ने यह भी बताया है कि जो लोग पढ़े-लिखे होने के बावजूद अपने से छोटों या बड़ों का सम्मान नहीं करते और हमेशा उन्हें नीचा दिखाने (disrespecting others) का प्रयास करते हैं। वे समाज में मूर्ख समझे जाते हैं। ये व्यक्ति स्वयं को दूसरों से श्रेष्ठ मानते हैं और अक्सर इस भ्रम में रहते हैं कि वे सब कुछ जानते हैं।
सोचे-समझे बिना काम करने वाले
जो लोग बिना सोचे-समझे काम करते हैं। चाणक्य की नीति उन्हें भी मूर्ख की श्रेणी में रखती है। ये व्यक्ति अपने कार्यों के परिणामों (impulsive decisions) के बारे में नहीं सोचते। जिससे अक्सर उन्हें जीवन में नुकसान उठाना पड़ता है।
खुद की तारीफ करने वाले
चाणक्य ने उन लोगों के बारे में भी बात की है जो खुद की तारीफ में लिप्त रहते हैं। ऐसे लोग जो निरंतर अपनी संपत्ति, बुद्धिमत्ता या सौंदर्य (self-admiration) की प्रशंसा करते रहते हैं। अक्सर समाज में उपहास का पात्र बनते हैं। ये लोग अपनी आत्ममुग्धता में इतने लिप्त होते हैं कि अन्य लोगों की उपलब्धियों को स्वीकार कर पाना उनके लिए कठिन हो जाता है।
(Disclaimer: इस आर्टिकल में दी गई जानकारियां और सूचनाएं इंटरनेट से ली गई हैं। Dharataltv.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)