कांवड़ रूट पर दुकानों का नाम लिखना क्यों है जरूरी, योगी सरकार ने बताई वजह

By Uggersain Sharma

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कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानदारों को नेम प्लेट लगाने का आदेश उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दिया गया था। इस आदेश के पीछे मुख्य उद्देश्य कांवड़ियों की भावनाओं को ठेस न पहुँचाना और क्षेत्र में शांति और भाईचारा बनाए रखना था। शुक्रवार को यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखा और बताया कि यह निर्देश सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील इलाकों में विवादों को रोकने के लिए दिए गए थे।

सुप्रीम कोर्ट का स्टे और राज्य सरकारों का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और कुछ अन्य राज्य सरकारों के इस आदेश पर स्टे जारी किया था। राज्य सरकारों ने कांवड़ रूट को लेकर आदेश जारी किया था कि रूट पर पड़ने वाली दुकानों और स्ट्रीट वेंडर्स को नेम प्लेट के साथ स्टाफ मेंबर्स की डिटेल भी देनी होगी। साथ ही उन्होंने यह भी बताने का निर्देश दिया था कि वे किस प्रकार का खाना परोस रहे हैं।

यूपी सरकार की दलील

यूपी सरकार ने कोर्ट में बताया कि कांवड़ियों को परोसे गए खाने को लेकर किसी भी तरह का कंफ्यूजन बड़े विवाद का विषय बन सकता है। यूपी सरकार ने यह भी कहा कि यह निर्देश किसी भी प्रकार से अलगाववादी नहीं हैं और यह सभी जाति-धर्म के दुकानदारों पर समान रूप से लागू होते हैं। सरकार ने कहा कि खासतौर पर सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील इलाकों जैसे मुजफ्फरनगर में इस प्रकार की समस्याएं देखने को मिली हैं।

विवादों को रोकने का प्रयास

पूर्व में हुए विवादों का हवाला देते हुए यूपी सरकार ने बताया कि बेचे जा रहे खाने के प्रकार को लेकर विवाद हुए थे। इन्हीं विवादों को ध्यान में रखते हुए निर्देश पहले ही जारी कर दिए गए थे ताकि स्थिति तनावपूर्ण न हो सके। सरकार ने अपनी दलील में यह भी कहा कि लाखों-करोड़ों लोग नंगे पांव गंगाजल लेकर यात्रा कर रहे हैं। ऐसे में किसी भी तरह का कंफ्यूजन बड़े पैमाने पर हालात खराब कर सकता है।

कांवड़ियों की सुरक्षा और सुविधा का ध्यान

यूपी सरकार ने बताया कि अगर कांवड़ियों को मन-मुताबिक खाना नहीं मिला तो पूरी यात्रा पर इसका खराब असर दिख सकता है। इसके अलावा क्षेत्र का शांति और सौहार्द भी प्रभावित हो सकता है। सरकार ने उस घटना का भी जिक्र किया जिसमें खाने में प्याज और लहसुन पाए जाने के चलते कांवड़िए भड़क गए थे और तोड़-फोड़ कर डाली थी।

सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया

सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगाते हुए उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और दिल्ली प्रदेश सरकार से 26 जुलाई को जवाब मांगा था। कोर्ट ने कहा था कि ढाबा-रेस्टोरेंट मालिकों और फल-सब्जी विक्रेताओं से यह तो कहा जा सकता है कि वह कांवड़ियों को बेच रहे खाद्य पदार्थों का नाम लिखकर लगाएं। लेकिन उन्हें इस बात के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता कि वह मालिकों या कर्मचारियों की नाम और पहचान जाहिर करें।

Uggersain Sharma

Uggersain Sharma is a Hindi content writer from Sirsa (Haryana) with three years of experience. He specializes in local news, sports, and entertainment, adept at writing across a variety of topics, making his work versatile and engaging.