Huge Power Cut Problem: भारत में बिजली की मांग तेजी से बढ़ रही है, जो वैश्विक स्तर पर दर्ज की जा रही वृद्धि से कहीं अधिक है. 2023 में देश में बिजली की मांग में 6.5% की वृद्धि दर्ज की गई. जबकि वैश्विक स्तर पर यह वृद्धि केवल 2.2% रही. इस तेजी से बढ़ती मांग का मुख्य कारण देश में औद्योगिक विकास, शहरीकरण और घरेलू उपयोग में वृद्धि है. मई 2019 में पीक समय में बिजली की मांग 182 गीगावाट थी. जो मई 2024 में 250 गीगावाट तक पहुंच गई. अगर यह प्रवृत्ति जारी रही, तो 2027 तक पीक समय में बिजली की मांग 50 से 80 गीगावाट तक और बढ़ सकती है.
2027 तक बिजली की संभावित कमी
आईईसीसी की रिपोर्ट के अनुसार 2027 तक भारत में शाम के समय 20 से 40 गीगावाट तक बिजली की कमी हो सकती है. यह स्थिति तब उत्पन्न होगी. जब वर्तमान में निर्माणाधीन सभी थर्मल और पनबिजली परियोजनाएं योजना के अनुसार समय पर पूरी हो जाएंगी. इस कमी के कारण बिजली कटौती का खतरा बढ़ सकता है, जो उद्योगों, व्यवसायों और आम जनता के लिए बड़ी समस्या साबित हो सकता है.
बिजली उत्पादन में वृद्धि की आवश्यकता
भारत की मौजूदा ऊर्जा उत्पादन क्षमता 446.2 गीगावाट है, जिसमें से 48.8% कोयला आधारित ऊर्जा है. इसके अलावा 19.2% सौर, 10.5% पवन ऊर्जा और 10.5% पनबिजली पर निर्भर है. हालांकि 2027 तक अक्षय ऊर्जा में 100 गीगावाट और पावर क्षमता में 28 गीगावाट तक की वृद्धि की योजना बनाई गई है. लेकिन यह वृद्धि भी भविष्य में बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अपर्याप्त हो सकती है.
सौर ऊर्जा और भंडारण क्षमता
आईईसीसी की रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि बिजली की कमी को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा और भंडारण क्षमता को बढ़ाना सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है. सौर ऊर्जा संयंत्रों को नए थर्मल और हाइड्रो प्लांट्स की तुलना में अधिक तेजी से स्थापित किया जा सकता है. इसके अलावा 2027 तक 100 से 120 गीगावाट नई सौर ऊर्जा जोड़ने से जिसमें 50 से 100 गीगावाट की भंडारण क्षमता चार से छह घंटे होगी. बिजली की कमी से निपटने में मदद मिल सकती है.
बिजली की बढ़ती मांग से उत्पन्न चुनौतियाँ
भारत में बिजली की मांग में हो रही यह वृद्धि 2025 में भी जारी रह सकती है. खासकर भीषण गर्मी के दौरान. मई 2024 में पन बिजली को छोड़कर 140 गीगावाट से अधिक अक्षय ऊर्जा क्षमता मौजूद थी. लेकिन शाम के पीक समय के दौरान केवल आठ से दस गीगावाट अक्षय ऊर्जा उत्पादन ही उपलब्ध था. अगर सालाना मांग छह फीसदी से अधिक की दर से बढ़ती रही. तो देश को आने वाले वर्षों में बिजली की भारी कमी का सामना करना पड़ सकता है.