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नॉन स्टॉप चलने वाली ट्रेन आखिर स्टेशन आने से पहले ही धीमी क्यों हो जाती है, बेहद ही मज़ेदार असली वजह

ट्रेन और ट्रेलवे से जुड़े ऐसे अनगिनत सवाल है जो अक्सर हमारे मन में आते रहते है। एक ऐसा सवाल ये है कि नॉन स्टॉप चलने वाली ट्रेन आखिर स्टेशन से पहले स्लो क्यों हो जाती है।
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non stop train speed low nearby station

ट्रेन और ट्रेलवे से जुड़े ऐसे अनगिनत सवाल है जो अक्सर हमारे मन में आते रहते है। एक ऐसा सवाल ये है कि नॉन स्टॉप चलने वाली ट्रेन आखिर स्टेशन से पहले स्लो क्यों हो जाती है। आपके मन में सवाल भी जरूर आया ही  होगा,।  तो चलिए जानते है।

स्टेशन पास आने पर करनी पड़ती है स्पीड कम 

जब भी कोई भी ट्रेन किसी रेलवे स्टेशन से गुजरती है तो, रेलवे के नियमों के मुताबिक, ट्रेन जब किसी स्टेशन के पास से गुजर रही होती है तो, लोको पायलट को ट्रेन की स्पीड को कम करना ही पड़ता है। मतलब जब भी कोई ट्रेन एक ट्रैक से दूसरे ट्रैक पर आती है, तो वो फुल स्पीड पर नही चलती क्योंकि फुल स्पीड में चलने से ट्रेन का एक्सीडेंट होने का खतरा बढ़ जाता हैं।

अगर कोई ट्रेन खास लाइन पर 110 या 130 या फिर 150 किमी प्रति घंटे की स्पीड से चलती है तो स्टेशन पास आने पर ट्रेन उसी स्पीड से स्टेशन पर नही पहुंचती।  ट्रेन को प्लेटफॉर्म लाइन पर लाने के लिए ट्रेन के लोको पायलट को स्पीड कम करनी पड़ती है।

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पायलेट कर देता है स्पीड 10 Km प्रति घंटा 

कुछ स्टेशन ऐसे है जहां पहुंचने के बाद उससे आगे कुछ मीटर जाकर ट्रेन ट्रैक खत्म हो जाते है, जैसे हावड़ा, चेन्नई, छत्रपति शिवजी टर्मिनस आदि। इन स्टेशनों पर जब भी कोई ट्रेन पहुंचती है तो लोको पायलट ट्रेन की स्पीड को 10 किमी प्रति घंटा कर देता है। ऐसा इसलिए कि ट्रैक खत्म होने पर ट्रेन की स्पीड से कोई दुर्घटना न हो।

आजकल ट्रेन के डिब्बे में 22 से लेकर 24 डिब्बे तक होते है। इन ट्रेनों की स्पीड को भी कम करना पड़ता है। फुल स्पीड में ट्रेन प्लेटफॉर्म से नहीं निकाला जा सकता। ट्रेन के लोको पायलट के अनुसार, अगर ट्रेन 80 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ रही है, तो उस ट्रेन की स्पीड को प्लेटफॉर्म पर लाने से पहले  कम किया जाता है। जिसे फुल स्पीड पर ब्रेक लगाने से ट्रेन के यात्रियों को चोट न आ जाए।