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ट्रेन के इंजन में लगे इस स्टीयरिंग से नही मुड़ती ट्रेन, बल्कि ट्रेन मोड़ने के लिए इस खास तकनीक का होता है इस्तेमाल

ट्रेन में सफ़र करते हुए लोगों के मन में रेलवे और ट्रेन से जुड़े कई सारे सवाल उठते रहते है। जिनका जवाब लोग जानना तो चाहते है पर उन्हें मिलता नही है। ऐसे ही एक सवाल के बारे में आज हम बार करने वाले है। आपने कभी ट्रेन के इंजन के अन्दर झांक के देखा होगा तो आपने वहां एक  स्टीयरिंग व्हील जैसा कुछ देखा होगा। 
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ट्रेन के इंजन में लगे इस स्टीयरिंग से नही मुड़ती ट्रेन

ट्रेन में सफ़र करते हुए लोगों के मन में रेलवे और ट्रेन से जुड़े कई सारे सवाल उठते रहते है। जिनका जवाब लोग जानना तो चाहते है पर उन्हें मिलता नही है। ऐसे ही एक सवाल के बारे में आज हम बार करने वाले है। आपने कभी ट्रेन के इंजन के अन्दर झांक के देखा होगा तो आपने वहां एक  स्टीयरिंग व्हील जैसा कुछ देखा होगा।

कुछ लोग अब तक ये सोचते होगे कि ये स्टेरिंग व्हील जैसी चीज कही ट्रेन को मोड़ने के काम तो नही आती होगी। पर वो चीज स्टेयरिंग व्हील तो नही होती, ट्रेन को कहीं मोड़ने का काम पटरियों का होता है, न की स्टेयरिंग व्हील का। तो अब सवाल आता है कि आखरी इस चीज का ट्रेन के इंजन में क्या काम होता है?

कैसे बढ़ती है ट्रेन की स्पीड?

ट्रेन के इंजन में लगा ये छोटा-सा स्टीयरिंग व्हील का काम ट्रेन की स्पीड को घटाने या बढ़ाने का होता है। इस छोटे से स्टीयरिंग के नीच एक इमारतनुमा आकार का उपकरण लगा होता है। जो कि ट्रेन में गियर का काम करता है। अब सभी ट्रेनें इलैक्ट्रिक और ऑटोमेटिक हो चुकी हैं। इसलिए इनकी स्पीड वोल्टेज पर निर्भर करती है।

वोल्टेज बढ़ने पर ट्रेन की स्पीड भी बढ़ जाती है। छोटे से स्टीयरिंग व्हील के नीचे लगे इस इमारतनुमा उपकरण का यही काम होता है। अगर ये व्हील दाईं ओर घुमाते है तो वोल्टेज बढ़ती है और बायीं तरफ घुमाते है तो वोल्टेज कम हो जाती है। इसे प्रक्रिया को टैपिंग कहते हैं।

बंद हो रहे हैं, ट्रेन के स्टीयरिंग व्हील

धीरे धीरे अब ट्रेनों के अंदर इन स्टीयरिंग व्हील को समाप्त किया जा रहा है। अब ट्रेन के इंजन में एक लीवर लगाया जा रहा है। जो कि प्लेन के कॉकपिट में लगा होता है। जिससे प्लेन की स्पीड घटाई या बढ़ाई जाती है और फिर प्लेन Take-Off करता है। ये व्हील WAG, WAM और WAP जैसे पुराने लोकोमोटिव इंजनो में देखने को मिलता है।

 

 ट्रेन को मोड़ने का काम पटरियाँ करती है

ट्रेन को दौड़ते हुए तो आपने देखा ही होगा ट्रेन के पहिए अंदर की तरफ से पटरियों को पकड़े होते है। जब ट्रेन को ट्रैक बदलना होता है तो पटरी को हीमोड़ दिया जाता है। ट्रेन के पहियों बनावट कुछ इस तरह होती है कि वह पटरी से नहीं उतरती है जहां पटरी मुड़ती है  ट्रेन भी उसी दिशा में मुड़ जाती है।