Smart Meter Installation: भारत में बिजली चोरी एक बड़ी समस्या है. जिसका समाधान स्मार्ट मीटर (smart meter installation) के रूप में उभर रहा है. यह उपकरण न केवल बिजली चोरी को रोकने में मदद करता है. बल्कि उपभोक्ताओं को अपनी बिजली की खपत को भी बेहतर ढंग से प्रबंधित करने की सुविधा देता है.
बिजली चोरी की समस्या और स्मार्ट मीटर का उपयोग
बिजली विभाग के अनुसार बहुत से स्थानों पर स्मार्ट मीटर के साथ छेड़छाड़ (meter tampering) करने की घटनाएं सामने आ रही हैं, जो चिंता का विषय है. ये मामले बिजली चोरी के इरादे से किए जा रहे हैं. जिससे न केवल विभाग को आर्थिक हानि हो रही है बल्कि उपभोक्ताओं को भी परेशानी हो रही है. स्मार्ट मीटर में गड़बड़ी करने पर उसमें मौजूद रिचार्ज शून्य हो जाता है और साथ ही बिजली भी बंद हो जाती है.
बिजली विभाग की निगरानी और कार्रवाई
बिजली चोरी को रोकने के लिए विभाग ने कई टीमें गठित की हैं और वे लगातार छापेमारी अभियान (raid operations) चला रहे हैं. इन अभियानों का उद्देश्य उन स्थानों पर जांच करना है जहाँ बिजली चोरी की संभावना हो सकती है या जहाँ स्मार्ट मीटर में छेड़छाड़ की गई हो. इससे चोरी के मामलों में कमी आई है और विभाग इसे और अधिक कठोरता से लागू करने का प्रयास कर रहा है.
स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया और नीतियां
कार्यपालक अभियंता कुमार सौरव का कहना है कि विभाग ने शत प्रतिशत स्मार्ट मीटर (smart meter installation goals) लगाने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए जहाँ धीमी गति से मीटर बदलने का काम चल रहा है, वहाँ विभाग ने एजेंसियों से स्पष्टीकरण मांगा है. इस प्रक्रिया को तेज करने के लिए अधिक संसाधन और कार्यबल की आवश्यकता है.
उपभोक्ता के लिए स्मार्ट मीटर के फायदे
स्मार्ट मीटर की सबसे बड़ी खूबी इसकी प्रीपेड सुविधा (prepaid facility) है. उपभोक्ता अपने मोबाइल फोन से ही बिजली का रिचार्ज कर सकते हैं. जिससे वे अपनी बिजली की खपत को काबू में रख सकते हैं. यह न केवल उपभोक्ता को बिजली की लागत को नियंत्रित करने में मदद करता है. बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि बिजली का उपयोग ज्यादा जिम्मेदारी से किया जाए.