हरियाणा सरकार और हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एचएसएससी) ने संयुक्त पात्रता परीक्षा (सीईटी) को पास करने वाले सभी अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा में बैठाने की नई योजना बनाई है। यह कदम उन लाखों अभ्यर्थियों के लिए एक नई चुनौती का सूचक है, जिन्होंने सीईटी की परीक्षा में सफलता प्राप्त की है। अब सभी पात्र उम्मीदवारों को अधिक कठिनाइयों वाले प्रश्नपत्रों का सामना करना पड़ेगा। जिसे देश के विख्यात शिक्षण संस्थानों के प्रोफेसर और विशेषज्ञ तैयार करेंगे।
क्यों बदलाव की जरूरत पड़ी?
हरियाणा सरकार का यह निर्णय उस समस्या का समाधान करने के लिए है जहाँ कम पदों के लिए लाखों अभ्यर्थी प्रतियोगिता में शामिल होते हैं। इसके चलते भीड़ को कम करने के लिए और केवल योग्यता पर आधारित चयन सुनिश्चित करने के लिए आयोग ने यह नई प्रणाली अपनाने का निर्णय लिया है। आगामी परीक्षाएं न केवल अधिक कठिन होंगी बल्कि यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि उच्च मेरिट वाले अभ्यर्थी ही आगे बढ़ें।
अभ्यर्थियों पर प्रभाव
वर्तमान में एचएसएससी पदों के चार गुना अधिक सीईटी पास अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा के लिए बुलाता है। यह परिवर्तन से अभ्यर्थियों को और अधिक तैयारी करनी होगी और कठिन परीक्षाओं के लिए स्वयं को सज्ज करना होगा। यह प्रक्रिया न केवल उनके ज्ञान की परीक्षा लेगी बल्कि उनके धैर्य और संकल्प की भी।
नौकरी के लिए लाखों युवा दौड़ में
प्रदेश में सरकारी नौकरी के लिए लाखों युवा दौड़ में हैं। ग्रुप डी की सीईटी परीक्षा में 8.54 लाख अभ्यर्थी बैठे थे और 4 लाख 10 हजार युवाओं ने यह परीक्षा पास की है। वहीं ग्रुप सी की सीईटी में 7,73,572 उम्मीदवार शामिल हुए और इनमें से 3 लाख 57 हजार 930 उम्मीदवार पास हुए। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि नौकरी के लिए प्रतिस्पर्धा कितनी कठिन है।
एचपीएससी का फार्मूला
एचपीएससी द्वारा अपनाई गई विधि को अब एचएसएससी भी अपना रहा है। इस विधि में देश के नामी गिरामी संस्थानों के विशेषज्ञों से कठिन पेपर तैयार करवाने का प्रयास है। इससे योग्य उम्मीदवारों का चयन सुनिश्चित होता है और उनकी वास्तविक क्षमता की परीक्षा होती है।