MNREGA News: हिमाचल प्रदेश की सरकार ने 1 अप्रैल से मनरेगा की दिहाड़ी को 240 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये कर दिया है। इस कदम से राज्य के ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर बढ़े हैं और ग्रामीण नागरिकों की आय में सुधार हुआ है। इस वृद्धि के फलस्वरूप ग्रामीणों की मनरेगा के तहत काम करने में रुचि में भी इजाफा हुआ है। जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सकारात्मक बदलाव आया है।
रोजगार के नए अवसर
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह की अध्यक्षता में हिमाचल प्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद की हाल ही में संपन्न हुई बैठक में इस वृद्धि की सूचना दी गई। चालू वित्त वर्ष में चार महीनों के दौरान ग्रामीणों ने 144 लाख कार्य दिवस अर्जित किए हैं, जो इस वित्त वर्ष के प्रारंभिक महीनों में अपेक्षाकृत अधिक है। इस तरह की पहल से न केवल रोजगार की संख्या बढ़ी है। बल्कि ग्रामीण नागरिकों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार हुआ है।
महिलाओं में बढ़ती भागीदारी
वित्त वर्ष 2023-24 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं ने कुल कार्य दिवसों में से 64 फीसदी कार्य दिवस अर्जित किए हैं, जो ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता और सशक्तीकरण की ओर एक सकारात्मक कदम है। इससे न केवल परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। बल्कि समाज में महिलाओं की स्थिति और सम्मान में भी वृद्धि होती है।
वित्तीय आवंटन और खर्च
वित्त वर्ष 2023-24 में मनरेगा के तहत 1288 करोड़ 24 लाख रुपये खर्च किए गए और चालू वित्त वर्ष 2024-25 के जुलाई तक लगभग 688 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। इन खर्चों में मुख्य रूप से मजदूरी का भुगतान शामिल है। जिसे 99 फीसदी से अधिक मामलों में समय पर किया गया है। यह दर्शाता है कि सरकार द्वारा ग्रामीण विकास के लिए आवंटित धन का उपयोग कुशलता से किया जा रहा है।
मनरेगा गांव के विकास की धुरी
मंत्री अनिरुद्ध सिंह के अनुसार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) गांवों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इसके तहत एक साल में 100 कार्य दिवस का गारंटी रोजगार प्रदान किया जाता है। जिससे ग्रामीण आबादी को निरंतर और स्थिर आय का स्रोत मिलता है। इसके अलावा प्रदेश सरकार की ओर से बीस दिनों के अतिरिक्त कार्य दिवसों का प्रावधान किया गया है, जो पूरी तरह से सरकार द्वारा वित्त पोषित है।