up electricity price hike: उत्तर प्रदेश में बिजली की कीमतें जल्द ही हर माह बढ़ सकती हैं या घट सकती हैं. जैसा कि इंटरनेशनल बाजार में क्रूड ऑइल (Crude Oil Prices) की कीमतों के अनुसार पेट्रोल और डीजल की कीमतों में परिवर्तन होता है. राज्य विद्युत नियामक आयोग इस तरह की व्यवस्था को बिजली कीमतों पर भी लागू करने की तैयारी कर रहा है. जिससे फ्यूल सरचार्ज (Fuel Surcharge) को हर महीने बिजली कंपनियों द्वारा तय किया जा सके.
फ्यूल सरचार्ज की मौजूदा व्यवस्था और नई नीति
वर्तमान में बिजली कंपनियों को फ्यूल सरचार्ज बढ़ाने या घटाने के लिए हर तीन महीने में नियामक आयोग के सामने प्रस्ताव रखना पड़ता है. इस व्यवस्था में बदलाव करते हुए नया प्रस्ताव बिजली कंपनियों को अधिक स्वायत्तता देने का है. जिससे वे खुद फ्यूल सरचार्ज (Fuel Surcharge Adjustment) तय कर सकें. इस नई नीति के तहत बिजली कीमतें फ्यूल की कीमतों के अनुसार अधिक लचीली हो जाएंगी.
उपभोक्ता परिषद का विरोध और चिंताएं
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इस नई व्यवस्था का कड़ा विरोध किया है. परिषद का मानना है कि अगर बिजली कंपनियों को फ्यूल सरचार्ज लगाने का सीधा अधिकार मिल जाता है, तो वे फ्यूल की कीमतें कम होने पर उपभोक्ताओं को उचित लाभ नहीं देंगी और केवल कीमतें बढ़ने पर ही उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ाएंगी. अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि आज तक बिजली कंपनियों ने फ्यूल सरचार्ज घटने पर उपभोक्ताओं को कोई विशेष लाभ नहीं पहुंचाया है.
सार्वजनिक सुनवाई और आगे की प्रक्रिया
राज्य विद्युत नियामक आयोग ने 19 सितंबर को इस प्रस्ताव पर आम जनता की सुनवाई बुलाई है. जहां उपभोक्ताओं और अन्य हितधारकों को अपने विचार और चिंताएं व्यक्त करने का मौका मिलेगा. इस सुनवाई में बिजली की कीमतों में मासिक उतार-चढ़ाव की व्यवस्था पर व्यापक चर्चा होने की संभावना है और इसके परिणामस्वरूप नीति के निर्धारण में महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा सकते हैं.