Driving Licence: देश में लाइट मोटर व्हीकल (LMV) लाइसेंस के साथ ट्रैक्टर और रोड रोलर जैसे वाहन चलाने के नियमों को लेकर सुप्रीम कोर्ट जल्द ही एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाने वाला है. यह फैसला उन लाखों लोगों के लिए महत्वपूर्ण होगा जिनके पास LMV लाइसेंस है और वे ट्रैक्टर या अन्य हल्के मोटर वाहन चलाते हैं. इस मुद्दे ने कई कानूनी विवादों को जन्म दिया है. खासकर बीमा दावों के संदर्भ में और अब सुप्रीम कोर्ट इस पर अंतिम फैसला करेगा.
सुप्रीम कोर्ट का पिछला फैसला और उसकी चुनौतियाँ (Supreme Court’s previous ruling and its challenges)
लगभग 7 साल पहले, सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा था कि अगर किसी व्यक्ति के पास LMV ड्राइविंग लाइसेंस है, तो वह ट्रैक्टर या रोड रोलर जैसे वाहन चला सकता है. बशर्ते वाहन का वजन 7,500 किलोग्राम से अधिक न हो. हालांकि अब इस फैसले को चुनौती दी गई है और अदालत इस पर पुनर्विचार कर रही है. यह सवाल उठा है कि क्या LMV लाइसेंस धारक वास्तव में भारी वाहन जैसे कि ट्रैक्टर चलाने के लिए सक्षम है या नहीं.
मोटर वाहन अधिनियम के तहत नियम (Rules under Motor Vehicle Act)
मोटर वाहन अधिनियम (Motor Vehicle Act) की धारा 10 के अनुसार प्रत्येक ड्राइविंग लाइसेंस में उन वाहनों की श्रेणी स्पष्ट रूप से लिखी जानी चाहिए जिन्हें लाइसेंस धारक चला सकता है. इस अधिनियम के अनुसार हल्के मोटर वाहन और परिवहन वाहन दो अलग-अलग श्रेणियाँ हैं. धारा 2(21) के तहत हल्के मोटर वाहन (LMV) को एक ऐसे वाहन के रूप में परिभाषित किया गया है जिसका वजन 7500 किलोग्राम से अधिक नहीं हो सकता.
परिवहन वाहनों के लिए अलग लाइसेंस की जरूरत (Need for a separate license for transport vehicles)
2017 में सुप्रीम कोर्ट ने यह सवाल उठाया था कि क्या LMV लाइसेंस धारक को ट्रांसपोर्ट वाहन चलाने के लिए अलग से लाइसेंस की आवश्यकता है. अदालत ने उस समय कहा था कि यदि किसी वाहन का वजन 7500 किलोग्राम से कम है, तो उसे LMV लाइसेंस धारक चला सकता है, चाहे वह ट्रैक्टर हो या रोड रोलर. लेकिन इस फैसले में ‘Unladen’ शब्द का प्रयोग किया गया था. जिसका मतलब है वाहन का बिना लदे वजन, जिसमें कोई भी अतिरिक्त भार शामिल नहीं होता.
बीमा कंपनियों के दावों पर प्रभाव (Impact on insurance claims)
LMV लाइसेंस धारकों के परिवहन वाहनों से संबंधित दुर्घटनाओं में बीमा दावों को लेकर कई विवाद उत्पन्न हुए हैं. बीमा कंपनियों का कहना है कि परिवहन वाहनों के लिए अलग लाइसेंस की आवश्यकता होनी चाहिए. जबकि कई न्यायालयों ने LMV लाइसेंस धारकों के पक्ष में निर्णय दिया है. इससे यह मामला और भी पेचीदा हो गया है. जिसे अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा हल किया जाएगा.
वर्तमान स्थिति और आगामी फैसला (Current situation and upcoming decision)
सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ ने इस मुद्दे पर दो दिनों तक दलीलें सुनी हैं और अब जल्द ही फैसला सुनाने वाली है. मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा है कि वह इस मुद्दे पर जल्दी निर्णय लेना चाहती है. जिससे लंबे समय से लंबित इस मामले को सुलझाया जा सके.
सरकार की भूमिका और संशोधन प्रस्ताव (Government’s role and amendment proposal)
केंद्र सरकार ने अदालत को सूचित किया था कि वह मोटर वाहन अधिनियम की धारा 2(21) और 10 का मूल्यांकन करेगी और संशोधन की सिफारिश करेगी. यह संशोधन ‘हल्के मोटर वाहन’ (LMV) की परिभाषा और ‘ड्राइविंग लाइसेंस’ के प्रारूप से संबंधित है. सरकार का कहना है कि यह संशोधन संसद के शीतकालीन सत्र में प्रस्तुत किया जाएगा.