प्रदेशभर के राशन डीलर अपनी मांगें पूरी न होने के कारण एक अगस्त से हड़ताल पर हैं. इस हड़ताल का मुख्य कारण राज्य सरकार द्वारा उनकी मांगों को पूरा न करना है. डीलरों का कहना है कि वे अपने परिवार का गुजारा वर्तमान कमीशन दर पर नहीं कर पा रहे हैं और इसके लिए वेतन की आवश्यकता है.
राशन की दुकानों पर ताला, लोग परेशान
राशन डीलरों की हड़ताल के चलते राशन की दुकानें बंद हो गई हैं. जिससे लोग राशन लेने के लिए भटक रहे हैं. प्रदेश के लगभग 4 करोड़ लाभार्थी इस हड़ताल से प्रभावित हुए हैं. राशन की दुकानों पर पर्याप्त स्टॉक होने के बावजूद भी लोग गेहूं और अन्य खाद्य पदार्थ नहीं पा रहे हैं. तीसरे दिन भी दुकानें न खुलने से लोग निराश होकर वापस लौट रहे हैं.
खाद्य योजना और उसके लाभार्थी
खाद्य योजना के तहत पात्र हर परिवार के हर सदस्य को प्रति माह पांच किलो गेहूं मिलता है. हर महीने की पहली तारीख से गेहूं का वितरण शुरू हो जाता है. लेकिन इस बार हड़ताल के कारण यह संभव नहीं हो पाया है. राशन की दुकानें बंद रहने के कारण कई परिवारों को आवश्यक खाद्यान्न नहीं मिल पा रहा है. जिससे उनकी स्थिति और भी विकट हो गई है.
डीलरों की प्रमुख मांगें
राशन डीलरों ने राज्य सरकार को अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा है. इन मांगों में 30,000 रुपये प्रतिमाह वेतन, गेहूं पर 2 प्रतिशत छीजत, पिछले छह महीनों का बकाया कमीशन, आधार सीडिंग की राशि, प्रवासी योजना के तहत वितरित गेहूं का कमीशन और ई-केवाईसी सिडिंग का मेहनताना शामिल हैं.
डीलरों की हड़ताल का प्रभाव
डीलरों की हड़ताल ने प्रदेशभर में राशन वितरण व्यवस्था को ठप कर दिया है. हर जिले में लगभग 555 राशन की दुकानें हैं. जहां से दो लाख लोग प्रतिमाह गेहूं प्राप्त करते हैं. हड़ताल के कारण इन सभी लोगों को राशन नहीं मिल पा रहा है. जिससे उनकी दैनिक जीवन की कठिनाइयाँ बढ़ गई हैं.
अधिकारियों की अनभिज्ञता और डीलरों की हड़ताल
राशन डीलरों ने अपनी मांगों को पूरा करने के लिए कलक्टर को ज्ञापन सौंपा और ब्लॉक स्तर पर पोश मशीनों को तहसील अध्यक्ष को सौंप दिया. हालांकि अधिकारियों ने इस बारे में जानकारी नहीं होने की बात कही है. इससे स्पष्ट होता है कि सरकार और डीलरों के बीच संवाद की कमी है, जो इस समस्या को और भी जटिल बना रही है.