India Richest Village: भारत को अक्सर गांवों का देश (Country of Villages) कहा जाता है। जहां आज भी अधिकांश आबादी गांवों में निवास करती है। आम धारणाओं के विपरीत जहां गांव की छवि सादगी और पिछड़ेपन की बनी हुई है। वहीं आज हम आपको भारत के एक ऐसे गांव से परिचित कराने जा रहे हैं जो इन सभी धारणाओं को चुनौती देता है।
एशिया का सबसे अमीर गांव
दिल्ली से मात्र 300 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मड़ावग गांव (Madavag Village) न केवल भारत बल्कि एशिया का सबसे अमीर गांव है। यहाँ के लोगों की संपत्ति और जीवनशैली देख कर कोई भी चकित हो सकता है। इस गांव की खासियत है कि यहाँ के निवासी आलीशान घरों में रहते हैं और लग्जरी कारें (Luxury Cars) चलाते हैं। यहाँ के प्रत्येक घर में करोड़पति बसते हैं, जो कि गांव की पारंपरिक छवि से एकदम विपरीत है।
सेब की खेती
मड़ावग गांव की समृद्धि का मुख्य स्रोत है सेब की खेती (Apple Cultivation)। यहाँ की जलवायु और मिट्टी सेब की खेती के लिए अत्यंत अनुकूल है। 1953-54 में गांव के एक निवासी चइयां राम मेहता ने पहली बार सेब के बाग लगाने का प्रयास किया जो सफल रहा। इसके बाद गांव के अधिकांश लोगों ने सेब की खेती शुरू कर दी। जिससे गांव की आर्थिक हालत में क्रांतिकारी बदलाव आया।
हाई क्वालिटी और भारी मांग
मड़ावग के सेब न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी बहुत मांग (High Demand) में हैं। इनकी गुणवत्ता इतनी जबरदस्त है कि इन्हें जम्मू-कश्मीर के सेबों से भी बेहतर माना जाता है। गांव की प्रत्येक खेती योग्य भूमि से सेब के ज्यादा उत्पादन ने न केवल गांव को आर्थिक रूप से समृद्ध किया है। बल्कि इसने मड़ावग को एक आदर्श गांव के रूप में स्थापित किया है।
आर्थिक स्वावलंबन की मिसाल
मड़ावग गांव आर्थिक स्वावलंबन (Economic Self-Sufficiency) का एक उज्ज्वल उदाहरण पेश करता है। यहाँ के निवासी अपने संसाधनों का उपयोग कर एक समृद्ध समुदाय का निर्माण कर रहे हैं। इस गांव की कहानी न केवल भारतीय ग्रामीण विकास की एक बेहतरीन मिसाल है, बल्कि यह दिखाती है कि कैसे ग्रामीण भारत अपनी अनूठी पहचान और समृद्धि के साथ विकास की नई राहें तय कर रहा है।