Bijli Bill: इस साल की भीषण गर्मियों में बिजली की खपत में भारी बढ़ोतरी हुई है. जिससे कई उपभोक्ताओं को अपने मीटरों के तेजी से चलने की शिकायत है. यह आशंका बढ़ी है कि कहीं उनके मीटर में कोई तकनीकी समस्या तो नहीं है.
मीटर शिकायत की जांच के विकल्प (Meter Complaint Investigation)
जिन उपभोक्ताओं को लगता है कि उनका मीटर अधिक तेजी से चल रहा है और बिजली का बिल अधिक आ रहा है. वे अपने संबंधित उपखंड कार्यालय में जाकर इसकी जांच के लिए आवेदन कर सकते हैं. यह सुविधा उपभोक्ताओं को यह आश्वासन देती है कि उनकी शिकायत को गंभीरता से लिया जाएगा और उसकी उचित जांच होगी.
आवेदन और जांच प्रक्रिया (Application and Inspection Process)
नगरीय विद्युत वितरण खंड के अधिकारी गौरव सिंह ने बताया कि अगर किसी उपभोक्ता को अपने मीटर की गति और बिल पर शक हो तो वे उपखंड अधिकारी (SDO) या खंड के अधिशासी अभियंता के कार्यालय में आवेदन दे सकते हैं. आवेदन मिलने के बाद विभाग के कर्मचारी सबसे पहले उपकरणों के लोड का अनुमान लगाएंगे और उसके आधार पर जांच प्रक्रिया आरंभ करेंगे.
चेक मीटर लगवाने की फीस (Check Meter Installation Fee)
यदि उपभोक्ता जांच से संतुष्ट नहीं होते हैं, तो खंड कार्यालय की ओर से चेक मीटर (Check Meter) लगाने के लिए मीटर विभाग को उनका आवेदन अग्रसारित किया जाता है. इसके लिए सिंगल फेज कनेक्शन पर 118 रुपये का शुल्क लिया जाता है. इस फीस की रसीद कटेगी, जो कि उपभोक्ता को दी जाएगी.
जांच की अवधि और रिपोर्टिंग (Inspection Duration and Reporting)
चेक मीटर लगने के बाद लगभग 15 दिनों की जांच अवधि होती है. जिसमें मीटर की सटीकता की जांच की जाती है. नगरीय मीटर खंड के अधिकारी संतोष प्रसाद और अरविंद कुमार ने बताया कि जांच के बाद अगर मीटर में किसी तरह की गड़बड़ी या तेज गति की समस्या पाई जाती है. तो मीटर को तुरंत बदल दिया जाता है. इससे उपभोक्ताओं को यह विश्वास होता है कि उनकी शिकायतों का समाधान किया जा रहा है और उन्हें उचित बिजली बिल का भुगतान करना पड़ रहा है.