भारतीय रेलवे जो रोज़ाना लगभग 2 करोड़ यात्रियों को उनकी मंजिल तक पहुँचाने का काम करती है. भारतीय रेलवे के पास अपने हज़ारों ट्रैक हैं. लेकिन महाराष्ट्र के अमरावती और मुर्तजापुर के बीच मौजूद शकुंतला रेलवे ट्रैक अपनी एक अलग पहचान रखता है. यह भारत की एकमात्र रेलवे लाइन है जो विदेशी कंपनी, क्लिक निक्सन एंड कंपनी के स्वामित्व में है.
अधिकार और रॉयल्टी की बात
इस नैरो गेज रेलवे ट्रैक का इतिहास ब्रिटिश काल से जुड़ा है. आज़ादी के बाद भी इस ट्रैक पर ब्रिटिश कंपनी का ही अधिकार रहा. भारतीय रेलवे इस ट्रैक का इस्तेमाल करने के लिए हर साल ब्रिटिश कंपनी को रॉयल्टी के रूप में 1 करोड़ 20 लाख रुपये देती रही है.
शकुंतला एक्सप्रेस की अनूठी यात्रा
इस ट्रैक पर चलने वाली शकुंतला एक्सप्रेस, जो इस रेलवे ट्रैक को और भी खास बनाती है. सिर्फ एक पैसेंजर ट्रेन है जो महाराष्ट्र के अमरावती से मुर्तजापुर के बीच 190 किलोमीटर की दूरी को 20 घंटे में पूरा करती है. यह ट्रेन कई छोटे-बड़े स्टेशनों पर रुकती है. जिससे यात्रा में समय अधिक लगता है.
इतिहास और विरासत
यह ट्रैक ब्रिटेन के मैनचेस्टर में 1921 में बने स्टीम इंजन से चलती रही थी. जिसे 1994 में डीजल इंजन से बदल दिया गया था. आज भी इस ट्रैक के सिग्नल और कुछ उपकरण ब्रिटिश काल के हैं, जो इसकी पुरानी विरासत को दर्शाते हैं.
भविष्य की संभावनाएं
हालांकि शकुंतला एक्सप्रेस अब बंद हो चुकी है. लेकिन स्थानीय लोग इसे फिर से शुरू करने की मांग कर रहे हैं. यह ट्रैक और इसकी ट्रेन न केवल यात्रा का एक साधन थी बल्कि यह क्षेत्रीय संस्कृति और विरासत का भी प्रतीक है.
भारतीय रेलवे और सरकार इस ट्रैक के भविष्य के लिए नई योजनाएँ बना रही हैं. इसे पुनः सक्रिय करने से न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिल सकता है बल्कि स्थानीय आर्थिक विकास में भी सहायता मिल सकती है.