MGNREGA Works in Himachal: मनरेगा जिसे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के नाम से जाना जाता है. भारत सरकार द्वारा 2005 में शुरू की गई एक प्रमुख योजना है. इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को आजीविका का साधन प्रदान करना और उन्हें गरीबी से बाहर निकालना है. इस योजना के तहत प्रत्येक ग्रामीण परिवार को एक वित्तीय वर्ष में 100 दिनों के रोजगार की गारंटी दी जाती है. यह रोजगार अकुशल कार्यों के रूप में होता है, जो स्थानीय स्तर पर उपलब्ध होते हैं और जिन्हें सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है.
हिमाचल प्रदेश में मनरेगा की स्थिति
हिमाचल प्रदेश में मनरेगा योजना के तहत 15.12 लाख जॉब कार्ड धारक पंजीकृत हैं. जिनमें से 9.32 लाख कार्ड सक्रिय हैं. राज्य में कुल 28.02 लाख श्रमिकों में से 13.7 लाख श्रमिक सक्रिय रूप से इस योजना के तहत काम कर रहे हैं. हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में यह योजना लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. यह योजना न केवल रोजगार का साधन प्रदान करती है. बल्कि राज्य के विकास में भी योगदान देती है.
मनरेगा के तहत 266 कार्यों की सूची
मनरेगा के तहत कुल 266 प्रकार के कार्य किए जा सकते हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं. इनमें से प्रमुख कार्य जल संरक्षण और जल संचयन के तहत तालाब, नहर और चेक डैम का निर्माण शामिल है. इसके अलावा भूमि विकास, सड़क निर्माण, बागवानी और वृक्षारोपण, सूखा राहत कार्य, गोदाम और शेड निर्माण, आवास निर्माण और पशुओं के लिए गौशाला निर्माण जैसे कार्य भी शामिल हैं. इन कार्यों के माध्यम से ग्रामीणों को रोजगार मिलता है और साथ ही उनके क्षेत्र का विकास भी होता है.
मनरेगा में काम कैसे होता है?
मनरेगा के तहत काम प्राप्त करने के लिए ग्रामीणों को सबसे पहले जॉब कार्ड के लिए आवेदन करना होता है. एक बार जॉब कार्ड प्राप्त हो जाने के बाद वे अपने निवास के 5 किलोमीटर के दायरे में आने वाले कार्यों के लिए आवेदन कर सकते हैं. प्रत्येक कार्य के लिए दैनिक वेतन निर्धारित होता है, जो राज्य के अनुसार भिन्न हो सकता है. काम करने वाले श्रमिकों को उनका वेतन सीधे उनके बैंक खाते में जमा किया जाता है. जिससे भुगतान प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहती है.
मनरेगा से क्या-क्या फायदा?
मनरेगा योजना के तहत ग्रामीण परिवारों को कई महत्वपूर्ण लाभ मिलते हैं. सबसे बड़ा लाभ यह है कि उन्हें एक वित्तीय वर्ष में 100 दिनों के रोजगार की गारंटी मिलती है. यह रोजगार उनकी आय में वृद्धि करता है. जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और वे गरीबी से बाहर निकलने में सक्षम होते हैं. इसके अलावा इस योजना के तहत किए गए कार्यों से ग्रामीण क्षेत्रों की अवसंरचना में भी सुधार होता है. जैसे कि जल संरक्षण, भूमि विकास और ग्रामीण कनेक्टिविटी के क्षेत्र में.
महिलाओं के लिए सशक्तिकरण का साधन
मनरेगा योजना का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह महिलाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करती है. ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं अक्सर घर की चारदीवारी में सीमित रहती हैं. लेकिन इस योजना के माध्यम से उन्हें काम करने और अपने परिवार के लिए आय का स्रोत बनने का अवसर मिलता है. इससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है. बल्कि उन्हें समाज में सम्मान और स्वाभिमान भी मिलता है.
ग्रामीण विकास और सामाजिक सुरक्षा
मनरेगा का उद्देश्य केवल रोजगार प्रदान करना ही नहीं है. बल्कि ग्रामीण विकास और सामाजिक सुरक्षा भी है. इस योजना के तहत किए गए कार्यों से ग्रामीण क्षेत्रों का समग्र विकास होता है. जैसे कि सड़कों का निर्माण, जल स्रोतों का संरक्षण और अन्य बुनियादी ढांचे का विकास. इसके अलावा यह योजना ग्रामीण परिवारों को संकट के समय आय का एक स्थिर स्रोत प्रदान करती है. जिससे उनकी जीवन गुणवत्ता में सुधार होता है.