भारत की एकमात्र ऐसी नदी जो बहती है उल्टी, जाने किस राज्य में है अनोखी नदी

By Uggersain Sharma

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भारत में नदियों को अत्यधिक पवित्र माना जाता है और इनमें गंगा, यमुना और नर्मदा प्रमुख हैं। नर्मदा नदी मध्य प्रदेश और गुजरात से होकर बहती है और इसका विशेष महत्व है। यह नदी न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। बल्कि भूगोलिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी जबरदस्त है।

पूर्व से पश्चिम दिशा में बहने वाली नदी

भारत की अधिकांश नदियां पूर्व की ओर बहते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं। लेकिन नर्मदा नदी पूर्व से पश्चिम की ओर बहते हुए अरब सागर में जाकर गिरती है। यह अद्वितीयता इसे अन्य नदियों से अलग बनाती है। नर्मदा नदी मैखल पर्वत के अमरकंटक में एक कुंड से निकलती है और 1,312 किमी की दूरी तय करके खंबात की खाड़ी में मिलती है।

धार्मिक महत्व

हिंदू धर्म शास्त्रों में नर्मदा नदी को मोक्षदायिनी कहा गया है। इसका धार्मिक महत्व इसे देश की सात प्रमुख नदियों में से एक बनाता है। मान्यता है कि नर्मदा नदी का दर्शन मात्र से ही पापों से मुक्ति मिलती है। नर्मदा परिक्रमा जो इस नदी के किनारे-किनारे की जाती है। अत्यधिक पवित्र मानी जाती है और भक्तों के लिए यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक यात्रा होती है।

भौगोलिक विशेषता

दुनियाभर की नदियां अपने ढलान की दिशा में बहती हैं। नर्मदा नदी भी रिफ्ट वैली के कारण पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है। रिफ्ट वैली एक भूगर्भीय संरचना है, जो नदी के बहाव को प्रभावित करती है। इस प्रकार नर्मदा नदी का बहाव उल्टी दिशा में होता है, जो इसे अद्वितीय बनाता है।

पौराणिक कथा

नर्मदा नदी के उल्टा बहने के पीछे एक पौराणिक कथा है। मान्यता है कि नर्मदा और शोण भद्र की शादी होने जा रही थी। लेकिन शोण भद्र की दिलचस्पी उनकी दासी जुहिला में ज्यादा थी। जब नर्मदा को यह बात शादी से पहले पता चली, तो उन्होंने मंडप छोड़कर उल्टी दिशा में चलना शुरू कर दिया। इसलिए नर्मदा नदी आज भी उल्टी बहती है। यह कथा न केवल नदी की दिशा को समझाने का प्रयास करती है। बल्कि इसमें धार्मिक और सांस्कृतिक तत्व भी जुड़े हुए हैं।

मध्य प्रदेश और गुजरात की जीवनरेखा

नर्मदा नदी को मध्य प्रदेश और गुजरात की जीवनरेखा भी कहा जाता है। यह नदी इन दोनों राज्यों की कृषि और पेयजल आपूर्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। नर्मदा नदी का जल सिंचाई, बिजली उत्पादन और पेयजल के लिए उपयोग किया जाता है। इसके अलावा नर्मदा नदी के किनारे बसे गांवों और शहरों की संस्कृति और जीवन शैली पर भी इसका गहरा प्रभाव है।

नर्मदा का विभाजन

नर्मदा नदी भारत को लगभग दो बराबर भागों में बांटती है। यह नदी भारत की केंद्रीय उच्च भूमि और दक्‍कन के पठार में देश को बांटती है। यह विभाजन न केवल भौगोलिक है। बल्कि सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। नर्मदा नदी के दोनों किनारों पर बसी सभ्यताओं और संस्कृतियों में इसका गहरा प्रभाव देखा जा सकता है।

नर्मदा की सहायक नदियां

नर्मदा नदी की सहायक नदियों की संख्या 41 है। इनमें से 22 नदियां बाएं किनारे पर और 19 नदियां दाएं किनारे पर मिलती हैं। ये सहायक नदियां नर्मदा नदी के जल प्रवाह को बढ़ाने और उसके महत्व को और अधिक बढ़ाने में सहायक होती हैं। इन सहायक नदियों का भी स्थानीय संस्कृति और जीवन पर गहरा प्रभाव है।

नर्मदा परिक्रमा

नर्मदा परिक्रमा एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक यात्रा है। भक्तगण नर्मदा नदी के किनारे-किनारे पैदल यात्रा करते हैं, जो लगभग 3,200 किमी की होती है। यह यात्रा कई महीनों में पूरी होती है और इस दौरान भक्तों को विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों का दर्शन करने का अवसर मिलता है। नर्मदा परिक्रमा को अत्यंत पवित्र माना जाता है और यह जीवन में एक बार जरूर की जाने वाली यात्रा मानी जाती है।

Uggersain Sharma

Uggersain Sharma is a Hindi content writer from Sirsa (Haryana) with three years of experience. He specializes in local news, sports, and entertainment, adept at writing across a variety of topics, making his work versatile and engaging.